2024-07-08 06:25:02
Jagannath Rath Yatra 2024: इस साल भगवान जगन्नाथ की रथा यात्रा 7 जुलाई यानी आज से शुरू हो चुकी है. हर साल यह रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है. उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर है और यह चार धामों में से एक माना जाता है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जो रथ यात्रा निकलती है वो 10 दिनों तक चलती है और आषाढ़ शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जब भगवान जगन्नाथ की वापसी होती है तब यात्रा का समापन होता है.
पुरी में जो भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं. जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्ति है. इन्हीं तीनों की रथ निकाली जाती है और रथ खींचने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु वहां आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई खास रहस्य हैं जिनकी बहुत ही खास मान्यता है. तो चलिए जगन्नाथ रथ यात्रा के खास मौके पर आज हम कुछ ऐसे ही रहस्यों से परिचित कराएंगे.
1. श्रीकृष्ण का हृदय
मान्यता है कि जब भगवा कृष्ण ने अपना देह त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई. मान्यता है कि भगवान कृष्ण का हृदय एक जिंदा इंसान की तरह ही धड़कता रहा. कहते हैं कि वो दिल आज भी सुरक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है.
2. 12 साल में एक बार बदली जाती हैं मूर्तियां
मंदिर में हर 12 साल में एक बार भगवान जगन्नाथ समेत तीनों की मूर्तियों को बदला जाता है. जिसके बाद वहां काष्ठ की नई मूर्तियों को स्थापित किया जाता है. लेकिन, भगवान की मूर्तियों को बदलते समय पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है. इसके साथ ही मंदिर के बाहर भारी सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया जाता है. उस दौरान सिर्फ पुजारी को ही मंदिर में जाने की ही आज्ञा होती है.
3. सिंहद्वार का रहस्य
जगन्नाथ पुरी मंदिर समंदर किनारे पर है. मंदिर में एक सिंहद्वार है. कहा जाता है कि जब तक सिंहद्वार में कदम अंदर नहीं जाता तब तक समंदर की लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन जैसे ही सिंहद्वार के अंदर कदम जाता है लहरों की आवाज गुम हो जाती है. इसी तरह सिंहद्वार से निकलते वक्त वापसी में जैसे ही पहला कदम बाहर निकलता है, समंदर की लहरों की आवाज फिर आने लगती है.
ये भी कहा जाता है कि सिंहद्वार में कदम रखने से पहले आसपास जलाई जाने वाली चिताओं की गंध भी आती है, लेकिन जैसे ही कदम सिंहद्वार के अंदर जाता है ये गंध भी खत्म हो जाती है. सिंहद्वार के ये रहस्य भी अब तक रहस्य ही बने हैं.
4. मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते कोई पक्षी
इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य ये भी है कि मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी उड़ता हुआ नहीं दिखता है और न बैठा हुआ दिखता है. इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज आदि को भी उड़ने की मनाही है.
5. नहीं बनती मंदिर की परछाई
इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य यह भी है कि कितनी भी धूप में इस मंदिर की परछाई कभी नहीं बनती.
6. झंडे का रहस्य
इस मंदिर के ऊपर एक झंडा लगा हुआ है जिसे रोज शाम को बदलाना जरूरी होता है. इसके पीछे यह मान्यता है कि अगर इस झंडे को नहीं बदला गया तो यह मंदिर आने वाले 18 सालों में बंद हो जाएगा.
7. मंदिर की रसोई का रहस्य
कहा जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है और इस रसोई का रहस्य भी चौंकाने वाला है. मंदिर में भगवान के प्रसाद को पकाने के लिए मिट्टी के सात बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर चूल्हे पर पकाया जाता है. लेकिन, सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो ये है कि इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है. इसके बाद एक-एक करके नीचे रखे मटकों का प्रसाद पकता जाता है. कहा जाता है, कि चाहे कितने ही श्रद्धालु क्यों न आ जाएं, प्रसाद कभी खत्म नहीं होता है. मंदिर के बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है.