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Kirori Lal Meena resignation eastern Rajasthan dispute over not getting a position

2024-07-05 21:35:02

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के दौरान बीजेपी के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा विरोध और आंदोलन के लिए चर्चा में रहे। चर्चा में वह अब भी हैं लेकिन वजह थोड़ी बदल गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के एक महीने बाद गुरुवार को उन्होंने पार्टी मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे देने की बात कही।

लोकसभा चुनाव से पहले किरोड़ी लाल मीणा ने कहा था कि अगर पार्टी दौसा सीट या पूर्वी राजस्थान की सातों लोकसभा सीटों में से किसी पर भी हारती है तो वह मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।

फिलहाल उनके पास राजस्थान सरकार में कृषि एवं बागवानी, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और राहत एवं नागरिक सुरक्षा, तथा लोक अभियोग निवारण सहित चार विभाग हैं।

किरोड़ी लाल मीणा बतौर विपक्षी दल के नेता

राजस्थान में गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान किरोड़ी लाल मीणा लगातार विरोध प्रदर्शनों के लिए सुर्खियों में रहते थे। पेपर लीक से लेकर शहीदों के मुद्दे पर राज्य सरकार की कथित लापरवाही के आरोप तक वह कई बार सड़कों पर मौजूद दिखाई दिए। मीणा राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) का प्रश्नपत्र लीक मामले को उठाने वाले नेताओं में सबसे आगे थे। जिससे गहलोत सरकार बैकफुट पर आ गई थी। पिछले साल विधानसभा चुनाव के करीब आते ही उनका विरोध और भी तेज हो गया। उन्हें बतौर विपक्ष के नेता काफी मुखर देखा गया था।

अब बगावत के मूड में किरोड़ी लाल मीणा

अब जब बीजेपी सत्ता में है और किरोड़ी लाल मीणा सरकार का हिस्सा हैं तो यह चर्चा शुरू हुई कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और दो उपमुख्यमंत्रियों से वरिष्ठ होने के बावजूद उन्हें सिर्फ एक मंत्री के रूप में सरकार में शामिल किया गया। उनके समर्थक मानते हैं कि यह पद उनके कद के साथ न्याय नहीं है। हालांकि उन्हें कृषि विभाग दिया गया था, लेकिन ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग को उनके और मदन दिलावर के बीच बांट दिया गया था, जिसमें मीणा को ग्रामीण विकास और दिलावर को पंचायती राज मंत्रालय दिया गया था।

लोकसभा चुनाव में बदली तस्वीर

लोकसभा चुनाव के परिणाम बीजेपी के लिए राजस्थान में भी अच्छे नहीं रहे। इस दौरान किरोड़ी लाल मीणा को अक्सर रैलियों-सभाओं में क्रोधित देखा गया। जहां पीएम मोदी की मौजूदगी में मीणा ने यह तक कह दिया था कि पार्टी दौसा सीट हारती है, तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। यह क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता है। दौसा के अलावा, भाजपा ने पूर्वी राजस्थान में टोंक-सवाई माधोपुर, करौली-धौलपुर और भरतपुर लोकसभा सीटें भी खो दीं। इसके बाद से मीणा पर इस्तीफा का काफी दबाव था।

इस्तीफे को लेकर क्या चर्चा है?

कुछ भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा के इस कदम को प्रासंगिक बने रहने की कोशिश के तौर पर देखते हैं। उनमें से एक ने कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद मीणा को पूर्वी राजस्थान में पार्टी की स्थिति का अंदाजा हो गया होगा और इसलिए उन्होंने एक जननेता के तौर पर अपनी छवि को मजबूत करने के लिए पत्र लिखना शुरू कर दिया था। अब वह अपना इस्तीफा सौंपकर सहानुभूति या सम्मान पाने की उम्मीद भी कर रहे होंगे।”

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