2024-07-03 10:40:02
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। हाथरस (Hathras News) के सिकंदराराऊ में हुए भीषण हादसे के बाद बिछवां के आश्रम में पहुंचे साकार विश्व हरि भोले बाबा (Bhole Baba) मंगलवार रात को नहीं निकले थे। मंगलवार मध्यरात्रि आश्रम के अंदर गई पुलिस ने बाहर निकलकर यही दावा किया था, लेकिन अनुयायी बाबा के अंदर ही होने की बात कह रहे थे। इसके बाद बुधवार सुबह आश्रम से गाड़ियों का काफिला बाहर निकला, जिसमें भोले बाबा के बाहर जाने के कयास लग रहे हैं। हालांकि, कुछ अनुयायी अब भी बाबा के आश्रम के अंदर होने की बात भी कह रहे हैं।
मैनपुरी के बिछवां स्थित हरीनगर में रामकुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट का आश्रम बना हुआ है। भोले बाबा के अनुयायी विनोद बाबू आनंद निवासी शिव नगर मैनपुरी शहर ने इस ट्रस्ट का गठन किया है। विनोद बाबू आनंद ने भोले बाबा के 10 मई 2024 से 31 मई 2025 तक स्वास्थ्य कारणों से बिछवां आश्रम में प्रवास करने की अनुमति मांगी थी। पुलिस की आख्या के बाद उन्हें यहां प्रवास की अनुमति प्रदान कर दी गई थी। अनुमति मिलने के बाद इस आश्रम पर भोले बाबा के सत्संग का कार्यक्रम 10 जून तक चलता रहा था। बाद में गर्मी बढ़ जाने के कारण सत्संग कार्यक्रम रोक दिया गया था।
दो जुूलाई को दोपहर में भोले बाबा हाथरस में सत्संग (Bhole Baba Satsang) के लिए आश्रम से रवाना हुए थे। वहां हादसा होने के बाद भोले बाबा गुपचुप आश्रम पर लौट आए थे। जिसके बाद आश्रम के बाहर कुछ भक्तों ने डेरा जमा लिया। सुरक्षा के लिए पुलिस बल की भी तैनाती कर दी गई। आश्रम में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं करने दिया गया। आश्रम पर मीडियाकर्मियों के पहुंचने के बाद मंगलवार रात्रि पुलिस ने आश्रम के अंदर प्रवेश किया। बाहर निकलकर सीओ भोगांव सुनील कुमार सिंह ने बाबा के अंदर न होने की बात कही थी। बाबा के आश्रम में आने को लेकर भी उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की थी। हालांकि आश्रम के अंदर गाड़ियों के काफिले की माैजूदगी की बात अनुयायी बता रहे थे।
आश्रम के गेट के बाहर डटी रही पुलिस
बाबा के अनुयायी रातभर आश्रम के गेट के बाहर डटे रहे और सुरक्षा में पुलिस भी तैनात रही। इसके बाद सुबह साढ़े सात बजे आश्रम से गाड़ियों का एक काफिला बाहर निकला। काफिले में छह गाड़ियां शामिल थीं। चर्चा है कि भोले बाबा इन्हीं में किसी एक गाड़ी में सवार थे और आश्रम में मौजूद होने की बात उजागर होने के बाद यहां से निकल गए हैं। हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर कुछ अनुयायी अब भी बाबा के आश्रम के अंदर ही होने की बात भी कह रहे हैं।
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